नई दिल्ली: सरकार के मुताबिक हज सब्सिडी पर हर साल करीब 700 करोड़ रुपए खर्च किए जाते थे. सब्सिडी सीधे एयर इंडिया को दी जाती थी जो हज यात्रियों को टिकट के दामों में रियायत के तौर पर मिलती थी. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने संसद में बताया था कि 2016 में 405 करोड़, 2015 में 529 करोड़, 2014 में 577 करोड़, 2013 में 680 करोड़ और 2012 में 836 करोड़ रुपए सब्सिडी दी गई थी.

साल 2016 में करीब 1.5 लाख लोग हज पर गए थे और 1.25 लाख लोगों ने सब्सिडी का फायदा उठाया था. बता दें कि भारत सरकार अन्य धार्मिक यात्राओं जैसे कैलाश मानसरोवर और ननकाना साहिब गुरुद्वारा के लिए भी सब्सिडी देती है.

सऊदी अरब ने इस साल हज यात्रा के लिए 5000 यात्रियों का कोटा बढ़ा दिया है. इस साल 1.75 लाख यात्री हज यात्रा पर जा सकेंगे. नई हज नीति के मुताबिक 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं इस साल से बिना मेहरम के चार-चार के ग्रुप में हज पर जा सकेंगी. सरकार ने दिव्यांगों के लिए भी हज का रास्ता खोल दिया है. अब तक दिव्यांग हज यात्रा पर नहीं जा सकते थे, लेकिन अब वो भी ये यात्रा कर सकेंगे.

हज यात्रियों की शिकायत थी कि सब्सिडी के बहाने सरकार एयर इंडिया की मदद कर रही है. मुस्लिम पॉलीटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. तसीलम रहमानी का कहना है कि ‘हज सब्सिडी को खत्म करने की मांग तो लम्बे वक्त से की जा रही थी. लेकिन इसके साथ ही एक मांग ये भी थी कि हज यात्रा पर जाने के लिए जो एयरलाइंस का बंधन सरकार ने लगा रखा है कि हज यात्री सिर्फ एयर इंडिया और सऊदी अरब की एयरलाइंस से ही आएंगे जाएंगे तो ये एक तरह की मनमानी है.

क्योंकि आम दिनों में एयर इंडिया आने-जाने का 25 हजार रुपये लेती है, लेकिन हज यात्रा के दौरान इसी के करीब 48 हजार रुपये वसूले जाते हैं. जो सरासर मनमानी है. इसका मतलब तो ये हुआ कि हमारा पैसा लेकर ही आप हमें सब्सिडी के रूप में लौटा देते हैं. ये एक तरह का घपला है.’