लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री से कहा है कि राज्य सरकार के प्रतीक (दो मछलियों वाला लोगो) चिन्ह के अनधिकृत प्रयोग को रोकने के लिये प्रदेश में कानून बनायें। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र प्रेषित करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह (दो मछलियों वाला लोगो) का प्रयोग गरिमा एवं अधिकारिता का द्योतक होता है। कानून अथवा राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किये बिना किसी व्यक्ति द्वारा इसका उपयोग करना अनुचित है।

राज्यपाल ने पत्र में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह के प्रयोग के संबंध में कोई कानून नहीं है जिससे इसके उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके कि किन-किन महानुभावों द्वारा इसका प्रयोग किया जा सकता है और किसके द्वारा नहीं। भारत के राज्य संप्रतीक (अशोक चिन्ह) के अनधिकृत उपयोग को दण्डनीय अपराध माना गया है। कानून के अभाव में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह के अनधिकृत उपयोग को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस संबंध में राज्य विधान मण्डल के माध्यम से कानून बनाने को भी कहा है।

श्री नाईक ने अपने पत्र में कहा है कि संसद द्वारा भारत का ‘राज्य संप्रतीक’ (अशोक चिन्ह) के उपयोग के संबंध में ‘भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) अधिनियम 2005’ एवं ‘भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने मुख्यमंत्री से कहा है कि राज्य सरकार के प्रतीक (दो मछलियों वाला लोगो) चिन्ह के अनधिकृत प्रयोग को रोकने के लिये प्रदेश में कानून बनायें। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र प्रेषित करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह (दो मछलियों वाला लोगो) का प्रयोग गरिमा एवं अधिकारिता का द्योतक होता है। कानून अथवा राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किये बिना किसी व्यक्ति द्वारा इसका उपयोग करना अनुचित है।

राज्यपाल ने पत्र में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह के प्रयोग के संबंध में कोई कानून नहीं है जिससे इसके उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके कि किन-किन महानुभावों द्वारा इसका प्रयोग किया जा सकता है और किसके द्वारा नहीं। भारत के राज्य संप्रतीक (अशोक चिन्ह) के अनधिकृत उपयोग को दण्डनीय अपराध माना गया है। कानून के अभाव में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह के अनधिकृत उपयोग को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस संबंध में राज्य विधान मण्डल के माध्यम से कानून बनाने को भी कहा है।

श्री नाईक ने अपने पत्र में कहा है कि संसद द्वारा भारत का ‘राज्य संप्रतीक’ (अशोक चिन्ह) के उपयोग के संबंध में ‘भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) अधिनियम 2005’ एवं ‘भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) नियम 2007’ बनाये गये हैं जिनमें स्पष्ट प्रावधान है कि पूर्व मंत्रियों, संसद के पूर्व सदस्यों, पूर्व विधायकों सहित कतिपय अन्य श्रेणी के महानुभावों द्वारा भी भारत के राज्य संप्रतीक का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। भारत के राज्य संप्रतीक के अनधिकृत प्रयोग को अधिनियम में दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अपराध के लिए अधिक से अधिक दो वर्ष का कारावास और कम से कम छः महीने का कारावास तथा पांच हजार रूपये तक दण्ड होगा।

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने पूर्व नेता विरोधी दल विधान सभा उत्तर प्रदेश श्री गया चरण दिनकर के पत्र का संज्ञान लेते हुए 22 अक्टूबर, 2017 को विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित को पत्र प्रेषित कर पूर्व विधानसभा सदस्यों द्वारा लोगो वाले ‘विधायक के लेटरहेड’ के प्रयोग करने के संबंध में उनके स्तर से कार्यवाही करने की अपेक्षा की थी। राज्यपाल के पत्र पर कार्यवाही करते हुये विधान सभा सचिवालय द्वारा 19 दिसम्बर, 2017 को विधान सभा के पूर्व सदस्यों को पत्र प्रेषित कर ‘सदस्य विधान सभा’ के लेटरहेड का पर पत्राचार न करने को कहा गया है। ज्ञातव्य है कि राज्यपाल ने भारत राज्य के संप्रतीक ‘अशोक चिन्ह’ के उपयोग के संबंध में इससे पूर्व भी 13 नवम्बर, 2014 को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिना अनुमति इसका उपयोग न करने को कहा था। नियम 2007’ बनाये गये हैं जिनमें स्पष्ट प्रावधान है कि पूर्व मंत्रियों, संसद के पूर्व सदस्यों सहित कतिपय अन्य श्रेणी के महानुभावों द्वारा भी भारत के राज्य संप्रतीक का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। भारत के राज्य संप्रतीक के अनधिकृत प्रयोग को अधिनियम में दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अपराध के लिए अधिक से अधिक दो वर्ष का कारावास और कम से कम छः महीने का कारावास तथा पांच हजार रूपये तक दण्ड होगा।

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने पूर्व नेता विरोधी दल विधान सभा उत्तर प्रदेश गया चरण दिनकर के पत्र का संज्ञान लेते हुए 22 अक्टूबर, 2017 को विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित को पत्र प्रेषित कर पूर्व विधानसभा सदस्यों द्वारा लोगो वाले ‘विधायक के लेटरहेड’ के प्रयोग करने के संबंध में उनके स्तर से कार्यवाही करने की अपेक्षा की थी। राज्यपाल के पत्र पर कार्यवाही करते हुये विधान सभा सचिवालय द्वारा 19 दिसम्बर, 2017 को विधान सभा के पूर्व सदस्यों को पत्र प्रेषित कर ‘सदस्य विधान सभा’ के लेटरहेड का पर पत्राचार न करने को कहा गया है। ज्ञातव्य है कि राज्यपाल ने भारत राज्य के संप्रतीक ‘अशोक चिन्ह’ के उपयोग के संबंध में इससे पूर्व भी 13 नवम्बर, 2014 को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिना अनुमति इसका उपयोग न करने को कहा था।