नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचे के मामले में अंतिम सुनवाई मंगलवार को शुरू हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 2019 तक टालने के सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की मांग को खारिज कर दिया. मामले की अगली सुनवाई अगले साल 8 फरवरी को होगी.

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ कर रही है.

सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मांग रखी कि इस मामले की सुनवाई 2019 लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में की जाए. सिब्बल ने दलील दी कि इस मसले को 2019 चुनाव में उठाया जा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया.

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ा. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट के सामने सभी सबूत पेश नहीं किए गए.

उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने इन दावों को गलत बताया. उन्होंने कहा, सभी संबंधित दस्तावेज और जरूरी अनुवादित कॉपियां जमा की जा चुकी हैं.

इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने पूछा कि 19000 पन्नों का दस्तावेज इतने कम वक्त में कैसे फाइल किया जा सकता है? सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें और अन्य याचिकाकर्ताओं को याचिकाओं से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.

वहीं याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने पेश किए गए सभी दस्तावेजों और सबूतों का अनुवाद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.