नई दिल्ली: केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हंगामा जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी है। वहीं मंदिर के पुजारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस फैसले के खिलाफ हैं और मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। मलयालम फिल्म अभिनेत्री पार्वती थिरुवोथु ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की वकालत की है। पार्वती का कहना है कि ‘जब वह पैदा हुई हैं, तब से ही वह इस सोच के साथ बड़ी हुई हैं कि पीरयड्स के दिनों में महिलाएं अशुद्ध होती है। हालांकि उन्होंने हमेशा इस सोच का विरोध किया।’ पार्वती ने बातचीत में इस बात का भी उल्लेख किया कि केरल में महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का ही विरोध क्यों कर रही हैं, जो कि उन्हें मजबूती देने के लिए है?

जब पार्वती से पूछा गया कि सबरीमाला मंदिर मामले पर कई महिलाएं ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध क्यों कर रही हैं। इस पर फिल्म अभिनेत्री ने कहा कि ‘वह सबरीमाला मुद्दे पर तो कोई बयानबाजी नहीं करेंगी लेकिन उनके जीवन में ये बात कई बार उठी है कि महिलाएं पीरयड्स के दौरान अशुद्ध होती हैं। मुझे ये सोच हर महिला में दिखाई देती है। महिलाओं को बताया जाता है कि उनकी शुद्धता उनकी वजाइना और उनके कौमार्य से है। लेकिन यह सोच खत्म होनी चाहिेए।’ जब पार्वती से पूछा गया कि केरल तो पारंपरिक तौर पर प्रगतिशील समाज समझा जाता है, फिर यहां इस तरह का विवाद क्यों है?

इसके जवाब में पार्वती ने कहा कि ‘कागजी आंकड़ों और लोगों की सोच में यहां बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। लिंग के आधार पर यहां बहुत भेदभाव होता है। यहां तक कि महिलाएं भी ऐसा ही सोचती हैं और उन्होंने खुद को इसी माहौल के हिसाब से ढाल लिया है।’ पार्वती के अनुसार, ‘एक महिला की पुरुषों के मुकाबले महिला से लड़ाई ज्यादा मुश्किल है।’ पार्वती ने बताया कि ‘फिल्म इंडस्ट्री की कई वरिष्ठ अभिनेत्रियां उत्पीड़न से गुजर चुकी हैं, लेकिन जब कोई इसके खिलाफ आवाज उठाता है तो उसी से सवाल किया जाता है कि वह इस पर इतना हंगामा क्यों कर रही हैं? पार्वती के अनुसार, वह फिल्मों में महिलाओं को घूरने का महिमामंडन होते देखती आयी हैं और आज भी ऐसा ही किया जा रहा है।